Bheem Rav Ambedkar Biography ( भीम राव अम्बेडकर जी का जीवन परिचय )

Bheem Rav Ambedkar Biography ( भीम राव अम्बेडकर जी का जीवन परिचय )

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नमस्कार दोस्तो आज हम आपके लिए लेकर आये भारत के संविधान निर्माता और पहले कानून मंत्री जिन्हे हम संविधान का जनक के नाम से भी जानते है जि हाँ हम बात कर रहे है भीम राव अम्बेडकर जी की (दलितो के एक महान नेता ) आज हम इनके बारे में विस्तार से जानेंगे -

                 


जीवन - परिचय -
इनका जन्म 14 april 1891 को 12 बजे हुआ । इनके पिता जी का नाम रामजी वल्द मालोजी सकपाल महू में मेजर सूबेदार के पद पर एक सैनिक अधिकारी थे । अपनी सेवा के अंतिम वर्ष उन्‍होंने और उनकी धर्मपत्नी भीमाबाई ने काली पलटन स्थित जन्मस्थली स्मारक की जगह पर विद्यमान एक बैरेक में गुजारे। भीम राव अम्बेडकर जी का मूल नाम भीमराव था । ये अपने माता पिता की 14 वी सन्तान थे ।ये महार जाति के थे जो कि उस समय अछूत और निचला वर्ग का मानते थे । उनके  एक ब्राह्मण शिक्षक ने अपना उपनाम अंबेडकर , भीमराव को लगाने के लिए कहा तब से भीमराव ने सकपाल उपनाम हटाकर अपने नाम के बाद अम्बेडकर लगाना शुरू कर दिया।


असली चित्र

शिक्षा -
  • 7 नवंबर 1900 को अंग्रेजी की पहली कक्षा में प्रवेश लिया। इसलिए 7 नवंबर को महाराष्ट्र में विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। उनके परिवार के मित्र एवं लेखक दादा केलुस्कर द्वारा खुद की लिखी 'बुद्ध की जीवनी' उन्हें भेंट दी गयी। इसे पढकर उन्होंने पहली बार गौतम बुद्ध व बौद्ध धर्म को जाना एवं उनकी शिक्षा से प्रभावित हुए।
  • 1907 में, उन्होंने अपनी Matric परीक्षा उत्तीर्ण की और अगले वर्ष उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश किया ।

  • 1912 तक, उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से Economy और राजनीतिक विज्ञान में कला स्नातक  (बी॰ए॰) प्राप्त की, और बड़ौदा राज्य सरकार के साथ काम करने लगे। 
  • बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने भीमराव आंबेडकर को मेधावी छात्र के नाते छात्रवृत्ति देकर 1913 में, आम्बेडकर 22 साल की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका भेज दिया । जून 1915 में उन्होंने अपनी कला स्नातकोत्तर (M. A.) परीक्षा पास की, जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे।
  • October 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही London School of Economics में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया।
  • उनकी तीसरी और चौथी डॉक्टरेट्स (एलएल॰डी॰, कोलंबिया विश्वविद्यालय, 1952 और डी॰लिट॰, उस्मानिया यूनिवर्सिटी, 1953) सम्मानित उपाधियाँ थीं।
भीम राव अम्बेडकर जी

वैवाहिक जीवन -

बाबा साहेब की पहली शादी मात्र 15 वर्ष की उम्र में सन 1906 में हुई, उनकी पहली पत्नी का नाम रमा बाई अम्बेडकर था। शादी के बाद भी पढाई जारी रखी और लंदन चले गए । उनकी पहली पत्नी से 5 संतान थी जिसमे केवल यसवंतराव ही लम्बे समय तक जीवित रहे लेकिन यसवंत पढाई केवल मैट्रिक तक ही कर सके बाद में यसवंत ने अपनी पार्टी बनायी और विद्यायक बन गए। रमाबाई अक्सर बीमार रहती थी और सन 1935 को उनका निधन हो गया। 
बाबा साहेब और रमाबाई जी


1940 के दशक के आखिर में वह जब भारतीय संविधान को बनाने में बेहद व्यस्त थे तभी स्वास्थ्य की जटिलताएं उभरनी शुरू हुईं। नींद नहीं आती थी। पैरों में न्यूरोपैथिक दर्द रहने लगा। इंसुलिन और होम्योपैथिक दवाएं किसी हद तक ही राहत दे पाती थीं। बाद में वे इलाज के लिए Mumbai चले गए ,मुंबई की डॉक्टर शारदा कबीर ने इलाज शुरू किया। वह पुणे के सभ्रांत मराठी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती थीं। ऐसे ब्राह्मण परिवार से, जिन्हें चितपावन ब्राह्मण कहा जाता था, यानि सबसे कुलीन ब्राह्मण। इलाज के दौरान ही दोनों नजदीक आ गए और 15 अप्रैल 1948 को दिल्ली स्थित अपने आवास में उनसे शादी कर ली। उनकी पत्नी ने अपना नाम सविता अम्बेडकर रख लिया , बाद में उन्हें सविता माई कहा जाने लगा।
सविता माई के साथ बाबा साहेब

अंबेडकर जी  खुद अपनी पत्नी के समर्पण और सेवा की तारीफ करते थे। जब उन्होंने अपनी किताब ''द बुद्धा एंड हिज धर्मा'' लिखी तो पहली बार में ये बगैर भूमिका के प्रकाशित हुई। 15 मार्च 1956 को बाबा साहेब ने इसकी भूमिका लिखी थी, भावुक अंदाज में बताया था कि किस तरह उन्हें पत्नी से मदद मिली। अंबेडकर के निधन के बाद नाराज करीबियों और अनुयायियों ने प्रकाशक पर दवाब डाला कि ये भूमिका हटाई जाए। इस तरह वो फीलिंग्स लोगों के सामने नहीं आ सकी, जो उन्होंने पत्नी के बारे में लिखी थी।
बाद में बाबा साहेब के निधन के बाद , बाबा साहेब पर संस्मरण ''बाबासाहेबन्चया सहवासत'' लिखा। उन पर बनी फिल्म में योगदान दिया। सविता माई का वर्ष 2003 में 94 साल की उम्र में मुंबई के जेजे अस्पताल में निधन हो गया।

योगदान -

मानवाधिकार जैसे दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जातिपाति, ऊॅच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए मनुस्मृति दहन (1927), महाड सत्याग्रह (वर्ष 1928), नासिक सत्याग्रह (वर्ष 1930), येवला की गर्जना (वर्ष 1935) जैसे आंदोलन चलाये।
उन्‍होंने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान को 02 वर्ष 11 महीने और 17 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार कर 26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप कर देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पध्दति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत किया। 1952 में उन्हें राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया
भारत के प्रथम कानून मंत्री का दर्जा भी बाबा साहेब को ही हासिल है। 

निधन- 

बाबा साहेब को 1948 में मधुमेह रोग हो गया और वो बीमार रहने लगे। 1952 में उन्हें राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया और अपनी मृत्यु तक वो इस सदन के सदस्य रहे। भीमराव आंबेडकर जी की लिखी आखिरी किताब का नाम 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्म' था। इस किताब को पूरा करने के तीन दिन बाद 6  दिसंबर 1956 को दिल्ली में आंबेडकर का निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार मुंबई में बौद्ध रीति-रिवाज के साथ हुआ। 'द बुद्ध एंड हिज़ धम्म' पुस्तक आंबेडकर की मृत्यु के बाद 1957 में प्रकाशित हुई।

विशेष- बाबा साहेब के साथ एक तरफ 6 वर्ष की उम्र में ही  उनके साथ भेदभाव , छुआछूत जैसी घटनाएं हो रही थी दूसरी तरफ उनके जीवन मे ब्राह्मण शिक्षक ने अपना उपनाम देकर , बडौदा के राजा ने छात्रवृत्ति देकर उनकी शिक्षा को जारी रखने में , उनकी ब्राह्मण पत्नी सविता माई ने अंतिम दिनों में उनकी  सेवा करके उनके जीवन को महान बनाने में  योगदान दे रहे थे । बाबा साहेब ने भी  संविधान निर्माण के समय सभी के हितों को ध्यान में रखकर सभी को  समान हक देकर अपना योगदान दिया , आज हमारे नेता उनके बनाये संविधान को अपने लाभ के लिए समय समय  बदलाव करते रहते है , बाबा साहेब जाति भेदभाव को खत्म करना चाहते थे लेकिन आज जिस तरह से राजनीति हो रही है भविष्य में ये सम्भव नही दिखता है ,आज भी अगर बाबा साहेब के रास्ते पर चला जाए तो ये जाति भेदभाव खत्म हो सकता है । 

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